रंगमंच आर्टिस्ट अली अब्बास एक गरीब परिवार से जिनके फादर मिठाई के डिब्बे बनाते थे और 170 पर डे मिलते थे अली अब्बास ने रंगमंच की दुनिया में अपना योगदान 12 साल दीया इसलिए कि वह एक अच्छे अभिनेता बनना चाहते हैं और अभी भी रंगमंच का सफर जारी है और इस रंगमंच की दुनिया में उन्हें 6 दफा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता से सम्मानित किया गया
लखनऊ यूपी में अली अब्बास के फादर का कुला टूट जाने के बाद घर की जिम्मेदारियां और बढ़ गई और थिएटर से घर चलाना मुश्किल हो गया था इन हालात से गुजरते हुए 2016/01/अप्रैल को मुंबई आए अपना अभिनय का सफर शुरू किया इस सफर में काफी परेशानियां और संघर्ष करना पड़ रहा है और अली अब्बास ने शुरुआत में मिठाई के डिब्बे का काम अपने चाचा के यहां सुबह 5:00 बजे से दिन के 12:00 बजे तक काम करते थे और ₹300 की मजदूरी हो जाती थी 1:00 बजे नहा धोकर ऑडिशन के लिए निकल जाते थे और फिर शाम को 8:30 के बाद वह इवेंट में जाकर वेटर का काम करते थे यह यहां भी ₹300 मिल जाते थे और अच्छा खाना खाने को मिल जाता था यह बात उन्होंने किसी को नहीं बताई थी इस कमाई से वह अपना खर्चा चलाते थे और जो फिल्म लाइन से पैसा मिलता था वह अपने मां-बाप को घर भेजते हैं और इसी दौरान22 सीरियलों में cameo किया और 6 शॉर्ट फिल्में दो Webseries 12 बॉलीवुड फिल्में और इनकी यही मेहनत लगन हुनर की वजह से राजकुमार हिरानी सर की फिल्म संजू में काम मिला और मुजफ्फर अली की फिल्म जानिसार में एक बड़ी अहम किसान की भूमिका निभाई है और अभी आने वाली फिल्म इनकी भागते रहो राजपाल यादव के साथ कॉमेडी करते हुए और बैंड फिल्म में भी कॉमेडी करते हुए नजर आएंगे विवेक मुशरान के साथ जो Saudagar फिल्म के हीरो थे और अभी भी उनके संघर्ष का सफर ,जारी है
इस तरह से अली अब्बास 15 साल से रंगमंच की की दुनिया में काम कर रहे हैं
यह कहानी थी अली अब्बास की जुबानी
आखिर में चलते-चलते रंगमंच आर्टिस्ट अली अब्बास ने एक शेर कह
मिल जाए आसानी से वह ख्वाहिश किसे है
जिद्द तो उसे पाने की है जो मुकद्दर में नहीं है
नमस्कार जय हिंद जय भारत*